Wednesday, 28 November 2012
Thursday, 15 November 2012
सौ करोड़ से ज़्यादा में बिका गोलकुंडा का हीरा
----सौ करोड़ से ज़्यादा में बिका गोलकुंडा का हीरा----
आर्चड्यूक जोसफ़ नाम का 76 कैरट का ये हीरा दुनिया के सबसे ख़ूबसूरत हीरों में से एक है. इसे एक 'पर्फेक्ट डायमंड' या पूरी तरह दोषरहित हीरा माना जाता है.
जेनेवा के क्रिस्टीज़ नीलामीघर ने इस हीरे को एक बेनाम ख़रीदार को बेचा है.
जिस कीमत पर आर्चड्यूक जोसफ़ अब बिका है वो इसके एक करोड़ पांच लाख डॉलर की अनुमानित कीमत से कहीं ज़्यादा है. इससे पहले वर्ष 1993 में ये हीरा 65 लाख डॉलर में बिका था.
क्रिस्टीज़ के अंतरराष्ट्रीय जवाहरात विभाग के निदेशक, फ़्रांसुआ कुरियल ने पत्रकारों को बताया, "गोलकुंडा खान से निकलने वाले किसी भी हीरे की ये विश्व रिकॉर्ड कीमत है. साथ ही ये बिना रंग के हीरे की प्रति कैरट कीमत का भी विश्व रिकॉर्ड है."
-----इतिहास-------
इस हीरे का इतिहास भी है.
ये उसी प्राचीन गोलकुंडा खान से निकला है जिससे मशहूर कोहीनूर और ब्लू होप हीरा निकला है. इसका नाम ऑस्ट्रिया के आर्चड्यूक जोसफ़ ऑगस्ट के नाम पर रखा गया है जो हंगरी की हैप्सबर्ग राजघराने के एक राजकुमार थे. कहा जाता है कि जोसफ़ ऑगस्ट ने इस हीरे को 1933 में एक बैंक में रखा था.
क्रिस्टीज़ के मुताबिक, "तीन साल बाद इस हीरे को एक यूरोपीय बैंकर को बेच दिया गया और इसे फ्रांस में एक सेफ़ डिपोज़िट बॉक्स में रखा गया था. अच्छी बात ये है कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ये ऐसे ही लोगों की नज़रों से छिपा रहा."
दशकों बाद आर्चड्यूक जोसफ़ हीरा पहले वर्ष 1961 में एक नीलामी में और फिर नवंबर 1993 में क्रिस्टीज़ की एक नीलामी में सामने आया.
आर्चड्यूक जोसफ़ नाम का 76 कैरट का ये हीरा दुनिया के सबसे ख़ूबसूरत हीरों में से एक है. इसे एक 'पर्फेक्ट डायमंड' या पूरी तरह दोषरहित हीरा माना जाता है.
जेनेवा के क्रिस्टीज़ नीलामीघर ने इस हीरे को एक बेनाम ख़रीदार को बेचा है.
जिस कीमत पर आर्चड्यूक जोसफ़ अब बिका है वो इसके एक करोड़ पांच लाख डॉलर की अनुमानित कीमत से कहीं ज़्यादा है. इससे पहले वर्ष 1993 में ये हीरा 65 लाख डॉलर में बिका था.
क्रिस्टीज़ के अंतरराष्ट्रीय जवाहरात विभाग के निदेशक, फ़्रांसुआ कुरियल ने पत्रकारों को बताया, "गोलकुंडा खान से निकलने वाले किसी भी हीरे की ये विश्व रिकॉर्ड कीमत है. साथ ही ये बिना रंग के हीरे की प्रति कैरट कीमत का भी विश्व रिकॉर्ड है."
-----इतिहास-------
इस हीरे का इतिहास भी है.
ये उसी प्राचीन गोलकुंडा खान से निकला है जिससे मशहूर कोहीनूर और ब्लू होप हीरा निकला है. इसका नाम ऑस्ट्रिया के आर्चड्यूक जोसफ़ ऑगस्ट के नाम पर रखा गया है जो हंगरी की हैप्सबर्ग राजघराने के एक राजकुमार थे. कहा जाता है कि जोसफ़ ऑगस्ट ने इस हीरे को 1933 में एक बैंक में रखा था.
क्रिस्टीज़ के मुताबिक, "तीन साल बाद इस हीरे को एक यूरोपीय बैंकर को बेच दिया गया और इसे फ्रांस में एक सेफ़ डिपोज़िट बॉक्स में रखा गया था. अच्छी बात ये है कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ये ऐसे ही लोगों की नज़रों से छिपा रहा."
दशकों बाद आर्चड्यूक जोसफ़ हीरा पहले वर्ष 1961 में एक नीलामी में और फिर नवंबर 1993 में क्रिस्टीज़ की एक नीलामी में सामने आया.
Thursday, 8 November 2012
Friday, 2 November 2012
--अपनी शादी को लेकर चुप क्यों है मोदी- दिग्विजय सिंह---
--अपनी शादी को लेकर चुप क्यों है मोदी- दिग्विजय सिंह---
शिमला। केंद्रयी मंत्री शशि थरूर पर मोदी के ‘50 करोड़ की गर्लफ्रेंड’ संबंधी टिप्पणी पर विवाद को कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने उस समय और बढ़ा दिया जब उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री से वैवाहिक स्थिति स्पष्ट करने को कहा। मोदी की आलोचना करते हुए कांग्रेस महासचिव ने उनसे उनकी पत्नी यशोदा बेन के बारे में पूछा और थरूर के उस बयान का बचाव किया कि भाजपा नेता किसी महिला को प्यार करना नहीं जानते हैं।
सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘पत्नी के नाम पर मोदी चुप क्यों है?
अगर आप यू ट्यूब पर जायेंगे और मोदी की पत्नी का नाम तलाशेंगे तब, आपको उनकी पत्नी का नाम यशोदा बेन मिलेगा।’’उन्होंने पूछा कि उनकी वैवाहिक स्थिति का कोष्ठक हमेशा खाली क्यों रहता है।
कांग्रेस महासचिव ने पूछा, ‘‘ मोदी को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या उन्होंने यशोदा बेन से विवाह किया है।
वह उनके साथ क्यों नहीं रहते और वैवाहिक स्थिति स्पष्ट क्यों नहीं की हैं।’’
सिंह ने दावा किया कि वह व्यक्तिगत आक्षेप नहीं लगाते है, लेकिन मोदी ने थरूर की पत्नी को निशाना बनाया, इसलिए मजबूर होकर यह कदम उठाना पड़ा।
शिमला। केंद्रयी मंत्री शशि थरूर पर मोदी के ‘50 करोड़ की गर्लफ्रेंड’ संबंधी टिप्पणी पर विवाद को कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने उस समय और बढ़ा दिया जब उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री से वैवाहिक स्थिति स्पष्ट करने को कहा। मोदी की आलोचना करते हुए कांग्रेस महासचिव ने उनसे उनकी पत्नी यशोदा बेन के बारे में पूछा और थरूर के उस बयान का बचाव किया कि भाजपा नेता किसी महिला को प्यार करना नहीं जानते हैं।
सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘पत्नी के नाम पर मोदी चुप क्यों है?
अगर आप यू ट्यूब पर जायेंगे और मोदी की पत्नी का नाम तलाशेंगे तब, आपको उनकी पत्नी का नाम यशोदा बेन मिलेगा।’’उन्होंने पूछा कि उनकी वैवाहिक स्थिति का कोष्ठक हमेशा खाली क्यों रहता है।
कांग्रेस महासचिव ने पूछा, ‘‘ मोदी को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या उन्होंने यशोदा बेन से विवाह किया है।
वह उनके साथ क्यों नहीं रहते और वैवाहिक स्थिति स्पष्ट क्यों नहीं की हैं।’’
सिंह ने दावा किया कि वह व्यक्तिगत आक्षेप नहीं लगाते है, लेकिन मोदी ने थरूर की पत्नी को निशाना बनाया, इसलिए मजबूर होकर यह कदम उठाना पड़ा।
हिंदुत्ववादी ताकतें फिर तैयार करने लगीं दंगों की जमीन
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में माहौल बिगाड़ने की तैयारी नए सिरे से शुरू हो गई है। दशहरा, दुर्गा पूजा और बकरीद निकल गई और फैजाबाद को छोड़ दूसरा कोई जिला प्रभावित नहीं हुआ पर जिस तरह पुलिस प्रशासन फैजाबाद में दंगों से निपटा अगर वह किसी और जिले में दोहराया गया तो हालात बेकाबू होंगे। फैजाबाद के बाद अब बारी गोरखपुर, बस्ती, मऊ, आजमगढ़ और सिद्धार्थ नगर जैसे पूर्वांचल के कई जिलों की है। भड़काने वाली भाषा बोली जा रही है।
पूर्वांचल में हिंदुत्ववादी ताकतें खुल कर सामने आ रही हैं। ये ताकतें अब चुनावी दंगों की तैयारी में हैं। फैजाबाद में इन्ही ताकतों ने माहौल बिगाड़ा और आगे भी तैयारी है। फैजाबाद में दुर्गा पूजा के दौरान लगातार नारा लगता रहा-अब भी जिस हिंदू का खून न खौला, खून नहीं वह पानी है। 24 सितंबर को चार बजे रुदौली में हिंसा होती है तो छह बजे फैजाबाद, आठ बजे भदरसा, नौ बजे शाहगंज और बारह बजे टिपरी में हिंसा हो जाती है।
फैजाबाद में जो दंगा हुआ उसके पीछे स्थानीय हिंदुत्ववादी वे ताकतें थीं, जो विधानसभा चुनाव हार गई थीं पर दंगा अगर फैला, तो उसके लिए सीधे सीधे पुलिस प्रशासन का शीर्ष नेतृत्व जिम्मेदार है। क्योंकि जब समूचे फैजाबाद को यह पता था कि शहर में दंगे की तैयारी है, तब सिर्फ जिले के कलक्टर और एसएसपी को यह जानकारी नहीं थी। जब दंगों में दुकानें जलाई जा रही थी, तब दो दमकलों में से एक से पानी ही नहीं निकला तो दूसरी का पानी खत्म हो गया। वह जो पानी लेने गर्इं, तो लौट के नहीं आई।
यह बानगी है उस जिले की जो राज्य का सबसे संवेदनशील जिला है। यहां जिस तरह दंगाइयों ने पहले काली प्रतिमा की चोरी को लेकर माहौल बनाया और फिर मूर्ति मिल जाने के बाद भी दंगों की तैयारी की, उससे इन दंगों की राजनीति को आसानी से समझा जा सकता है। अयोध्या से पांच बार विधायक रहे लल्लू सिंह विधानसभा का पिछला चुनाव हार चुके हैं जो 1991 से लगातार चुनाव जीतते रहे हैं। यह एक बड़ा झटका रहा और फिर सामने 2014 का लोकसभा चुनाव है।
फैजाबाद से त्रियुग नारायण तिवारी के मुताबिक फैजाबाद का दंगा राजनीतिक
ज्यादा रहा है, जिसमें यहां के नेताओं की बड़ी भूमिका रही है। भाजपा के एक विधायक रामचंद्र यादव के खिलाफ इस सिलसिले में मामला भी दर्ज हुआ। समूचे दुर्गा पूजा के दौरान दंगों का माहौल बनाया गया। उत्तेजक नारे लगे। योगी आदित्यनाथ के कैसेट चलाए। पेट्रोल जमा किया गया। दुकानें चिह्नित की गई ताकि उन्हें लूटने में आसानी हो पर जिला प्रशासन इन सबसे बेखबर था ।
इससे पहले सांप्रदायिक हिंसा की जो घटनाएं हुर्इं, उनमें जून में मुजफ्फरनगर, कोसीकलां (मथुरा) के बाद प्रतापगढ़ के अस्थाना गांव में एक दलित बालिका से सामूहिक दुष्कर्म के बाद हुई हत्या से माहौल बिगड़ा। गुरुवार को तो भाजपा ने बाकायदा सूची जारी कर इसका ब्योरा दिया। भाजपा की खुद क्या भूमिका रही है, इस पर भी गौर करना चाहिए। बहरहाल, इसके बाद बरेली, गाजियाबाद, कानपुर और इलाहाबाद आदि का नाम लिया गया है पर भाजपा ने इस सब की जो वजह बताई है उससे भी उसकी नीयत पर सवाल उठता है।
पार्टी के मुताबिक आतंकवादियों को छोड़ने की कार्रवाई शुरू करना, बुनकरों के बिजली बिल माफ करना, रंगनाथ मिश्र आयोग और सच्चर कमेटी की रिपोर्ट को लागू करने का संकल्प व्यक्त करने के साथ वर्ग विशेष की छात्राओं को 30 हजार की आर्थिक सहायता आदि के कारण यह परिस्थिति पैदा हो गई है। भाजपा के इन आरोपों से साफ है कि वह अल्पसंख्यकों के खिलाफ माहौल बनाने के प्रयास में है। पूर्वांचल में शुरुआत हो गई है।
सिद्धार्थ नगर से विनयकांत मिश्र के मुताबिक पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में योगी आदित्यनाथ की हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं ने धरना प्रदर्शन कर आग उगलना शुरू कर दिया है। सिद्धार्थनगर जनपद में हियुवा के जिलाध्यक्ष रमेश गुप्ता ने धरने के दौरान कहा कि यदि सरकार ने गोकसी पर प्रतिबंध नहीं लगाया, तो आप पुलिस को बिना सूचना दिए हुए मस्जिदों के सामने सूअर काट दें। भारत-नेपाल सीमा पर सिद्धार्थनगर जनपद में दो दिन पहले विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय के विधानसभा क्षेत्र इटवा के मुख्य चौराहे पर दिनदहाड़े गोकसी की घटना से हियुवा के कार्यकर्ता गुस्से में थे। उनका कहना था कि जब विधानसभा अध्यक्ष के क्षेत्र में इस तरह की घटनाएं हो रही हैं, तो पूरे राज्य की स्थिति का आकलन किया जा सकता है।
Thursday, 1 November 2012
---दिल्ली में 22 नवंबर से नहीं मिलेंगे प्लास्टिक बैग----
दिल्ली में प्लास्टिक बैग पर 22 नवंबर से पूरी तरह रोक लग जाएगी। इसके उत्पादन, भंडारण, बिक्री, ट्रांसपोर्टेशन और इस्तेमाल पर प्रतिबंध की अधिसूचना जारी कर दी गई है। इसके तहत कोई भी दुकानदार खाद्य पदार्थ या अन्य सामग्री के लिए प्लास्टिक बैग नहीं देगा। पत्रिका की पैकिंग या निमंत्रण पत्र की पैकिंग में भी प्लास्टिक का इस्तेमाल प्रतिबंधित किया गया
है।
अधिकतम सात साल तक की सजा
दिल्ली कैबिनेट ने इस साल 11 सितंबर को राजधानी में प्लास्टिक थैली के इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध के फैसले पर मुहर लगाई थी। कानून का उल्लंघन करने वाले के खिलाफ पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 19 के तहत अधिकतम सात साल तक की सजा या एक लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है।
अस्पताल में किया जा सकेगा इस्तेमाल
अधिसूचना बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट हैंडलिंग रूल्स 1998 में निर्धारित प्लास्टिक कैरी बैग के इस्तेमाल पर लागू नहीं होगी। मसलन अस्पताल में इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा। कानून की मॉनिटरिंग करने के लिए कई अधिकारियों को अधिकृत किया गया है, जो अपने-अपने इलाके में काम करेंगे।
अधिकारी रखेंगे पैनी नजर
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के सदस्य सचिव पाबंदी लागू करने पर पैनी नजर रखेंगे। सैंपल भरने के अधिकार जन स्वास्थ्य निरीक्षक व उच्च अधिकारी, खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी, चिकित्सा अधिकारी, खाद्य एवं अपमिश्रण विभाग के अधिकारी को दिए गए हैं।
--वेटिंग लिस्ट वालों को ट्रेन में ही रिजर्वेशन टिकट देने की योजना--
वेटिंग लिस्ट वालों को ट्रेन में ही रिजर्वेशन टिकट देने की योजना मंजूर हो गई है। रेल यात्रियों की सुविधा और टिकट निरीक्षकों की हेराफेरी पर काबू करने के लिए रेलवे हैंड हेल्ड टर्मिनल (एचएचटी) योजना को लागू करने जा रहा है। डेढ़ साल से लंबित योजना को लागू करने के लिए रेलवे बोर्ड ने 908 लाख रुपए भी स्वीकृत कर दिए हैं। तय किया गया है कि
इस कार्य को उत्तर रेलवे शुरू करेगा। इसके साथ ही जिन ट्रेनों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर यह योजना शुरू की गई थी, उनमें यह व्यवस्था स्थाई कर दी गई है।
हैंड हेल्ड टर्मिनल की मदद से रिजर्वेशन टिकट बुकिंग की योजना अब परवान चढ़ने जा रही है। करीब डेढ़ साल पहले शुरू हुए पायलट प्रोजेक्ट के कार्य पूरे हो गए हैं। रेलवे अफसरों के मुताबिक एचएचटी जीएसएम और जीपीएस तकनीक पर आधारित है। ट्रेन में टिकटों की जांच के दौरान यात्री नाट टर्नअप (सफर न करने वाले) होते हैं तो टीटीई एचएचटी के जरिए पीआरएस (पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम) में खाली बर्थ की सूचना दर्ज करा देंगे। अभी ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, जिसमें सफर न करने वाले यात्री और अगले स्टेशन के कोटे की खाली सीटों की सूचना चलती ट्रेन में मिल सके।
दौड़ती ट्रेन के दौरान भी प्रतीक्षा सूची के यात्रियों को बर्थ आवंटित हो जाएगी। इससे टीटीई को अगले स्टेशन का चार्ट मिलने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। ट्रेन में ही एचएचटी के जरिए अगले स्टेशन के कोटे की खाली बर्थ दिखने लगेगी। यह बर्थ भी यात्रियों को आवंटित कर दी जाएगी। दूसरे चरण में एचएचटी को पीआरएस की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। सो, इससे टिकटों की नई बुकिंग, यात्रा निरस्तीकरण जैसी सुविधाएं भी मिलने लगेंगी।
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