----पत्नी की ‘‘झूठी’’ शिकायतों के शिकार बने व्यक्ति को अदालत से मिली तलाक की मंजूरी----
नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज अपनी पत्नी की ‘‘झूठी’’ शिकायतों के शिकार बने एक व्यक्ति के तलाक को मंजूरी दे दी। व्यक्ति की पत्नी ने उसके और उसके परिवार वालों के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज करायी थीं। अदालत ने कहा कि महिला के कार्रवाईयों से उसका पति मानसिक रूप से प्रताड़ित हुआ।
निचली अदालत द्वारा अपने पति के पक्ष में दिए गए फैसले को चुनौती देते हुए महिला ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी जिसे न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग और वी कामेश्वर राव की खंडपीठ ने खारिज कर दिया। खंडपीठ ने परिवार अदालत के फैसले से सहमति जतायी।
खंडपीठ ने कहा, ‘‘हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि संदीप :बदला हुआ नाम: और उसके परिवार वालों के खिलाफ पुलिस के समक्ष और संदीप के कार्यालय में कई गलत शिकायतें दर्ज कराकर महिला ने अपने पति को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया है।
महिला ने अपने पति और उसके परिवार वालों के खिलाफ दहेज की मांग करने, उनकी मांगों को पूरा ना करने पर उसके साथ कू्ररता से पेश आने और अपने पति पर एक सहकर्मी के साथ अवैध संबंध में लिप्त होने के गलत आरोप लगाए थे जिसकी वजह से हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत व्यक्ति को तलाक पाने का हक है।’’
अदालत ने अपने फैसले में कहा, ‘‘कोई वैवाहिक विवाद केवल एक कानूनी विवाद नहीं है बल्कि इससे अधिक महत्वपूर्ण रूप से यह एक पारिवारिक और एक सामाजिक समस्या है। कानूनी बारीकियों के दृष्टिकोण से वैवाहिक विवादों को नहीं देखा जाना चाहिए। इसे एक पति और पत्नी के बीच मानवीय स्तर पर एक समस्या के तौर पर देखा जाना चाहिए। पारंपरिक ढर्रे पर न चलकर इस तरह के मामलों को संवेदनशीलता से निपटाया चाहिए।’’
पिछले साल 14 दिसंबर को परिवार अदालत ने व्यक्ति की तलाक की मांग संबंधी याचिका स्वीकार कर ली थी और उसकी पत्नी की विरोधी याचिका खारिज कर दी थी।
अदालत ने महिला द्वारा अपने पति के खिलाफ लगाए गए दहेज के लिए प्रताड़ित करने के आरोप को खारिज करते हुए कहा, ‘‘हमारे पास पर्याप्त सबूत है कि यह शादी दहेज रहित थी।’’
व्यक्ति ने अदालत को बताया था कि उन दोनों ने 22 मार्च, 1997 को अपने माता-पिता को बताए बिना गुप्त रूप से शादी की थी। इसके बाद दोनों ने 26 फरवरी, 1999 को आधिकारिक रूप से शादी की जिसमें केवल लड़की के माता-पिता ही मौजूद थे। व्यक्ति की इस दलील को उच्च न्यायालय ने स्वीकार कर लिया।
भाषा
नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज अपनी पत्नी की ‘‘झूठी’’ शिकायतों के शिकार बने एक व्यक्ति के तलाक को मंजूरी दे दी। व्यक्ति की पत्नी ने उसके और उसके परिवार वालों के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज करायी थीं। अदालत ने कहा कि महिला के कार्रवाईयों से उसका पति मानसिक रूप से प्रताड़ित हुआ।
निचली अदालत द्वारा अपने पति के पक्ष में दिए गए फैसले को चुनौती देते हुए महिला ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी जिसे न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग और वी कामेश्वर राव की खंडपीठ ने खारिज कर दिया। खंडपीठ ने परिवार अदालत के फैसले से सहमति जतायी।
खंडपीठ ने कहा, ‘‘हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि संदीप :बदला हुआ नाम: और उसके परिवार वालों के खिलाफ पुलिस के समक्ष और संदीप के कार्यालय में कई गलत शिकायतें दर्ज कराकर महिला ने अपने पति को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया है।
महिला ने अपने पति और उसके परिवार वालों के खिलाफ दहेज की मांग करने, उनकी मांगों को पूरा ना करने पर उसके साथ कू्ररता से पेश आने और अपने पति पर एक सहकर्मी के साथ अवैध संबंध में लिप्त होने के गलत आरोप लगाए थे जिसकी वजह से हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत व्यक्ति को तलाक पाने का हक है।’’
अदालत ने अपने फैसले में कहा, ‘‘कोई वैवाहिक विवाद केवल एक कानूनी विवाद नहीं है बल्कि इससे अधिक महत्वपूर्ण रूप से यह एक पारिवारिक और एक सामाजिक समस्या है। कानूनी बारीकियों के दृष्टिकोण से वैवाहिक विवादों को नहीं देखा जाना चाहिए। इसे एक पति और पत्नी के बीच मानवीय स्तर पर एक समस्या के तौर पर देखा जाना चाहिए। पारंपरिक ढर्रे पर न चलकर इस तरह के मामलों को संवेदनशीलता से निपटाया चाहिए।’’
पिछले साल 14 दिसंबर को परिवार अदालत ने व्यक्ति की तलाक की मांग संबंधी याचिका स्वीकार कर ली थी और उसकी पत्नी की विरोधी याचिका खारिज कर दी थी।
अदालत ने महिला द्वारा अपने पति के खिलाफ लगाए गए दहेज के लिए प्रताड़ित करने के आरोप को खारिज करते हुए कहा, ‘‘हमारे पास पर्याप्त सबूत है कि यह शादी दहेज रहित थी।’’
व्यक्ति ने अदालत को बताया था कि उन दोनों ने 22 मार्च, 1997 को अपने माता-पिता को बताए बिना गुप्त रूप से शादी की थी। इसके बाद दोनों ने 26 फरवरी, 1999 को आधिकारिक रूप से शादी की जिसमें केवल लड़की के माता-पिता ही मौजूद थे। व्यक्ति की इस दलील को उच्च न्यायालय ने स्वीकार कर लिया।
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