----मंदिरों की दीवारों पर क्यों बनाई गई सेक्स करती मूर्तियां?---
खजुराहो के मंदिर शिल्प कला और खास तौर पर मंदिर की दीवारों पर बनी मैथुन यानी सेक्स में रत मूर्तियों के कारण विश्व प्रसिद्घ है। खजुराहो के अतिरिक्त कोणार्क मंदिर और पुरी के मंदिरों पर भी इस तरह की मूर्तियों को उकेरा गया है। बिहार के हाजीपुर में स्थित नेपाली छावनी शिव मंदिर ऐसा ही मंदिर है जहां की दीवारों पर मैथुन मूर्तियां बनी हुई हैं।
मंदिर अध्यात्म और ईश्वर को प्राप्त करने का स्थान है। जबकि सेक्स को संसारिकता, भोग और अधोगति प्रदान करने वाला माना गया है। ऐसे में मंदिर की दीवारों पर ऐसी मूर्तियों को देखकर हर व्यक्ति के मन में यह सवाल उठाना स्वभाविक है कि मंदिर की दीवारों पर ऐसी मूर्तियां क्यों बनायी गई हैं।
'तापी धर्मराव' ने इस प्रश्न का उत्तर देवालयों पर मिथुन मूर्तियां क्यों? नामक अपनी पुस्तक में दिया है। इनके अनुसार प्राचीन काल में सेक्स पाप कर्म नहीं माना जाता था यह सृष्टि के विकास में योगदान माना जाता था। लोग छुपकर सेक्स करने के बजाय मंदिर में ईश्वर के सामने सेक्स करते थे। माना जाता था कि ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती थी।
प्राचीन समय में देवी-देवताओं की मूर्तियां नहीं होती थी उस समय लिंग और योनी की पूजा होती थी। इसका कारण यह था कि लोग यह मानते थे कि संसार की उत्पत्ति पुरूष और प्रकृति के मिलन से हुआ है।
पुरूष के प्रतीक के रूप में लिंग की और प्रकृति के रूप में योनी की पूजा होती थी।
देवी-देवताओं की मूर्तियों के अस्तित्व में आने पर इस रूप में इनकी पूजा होने लगी। ऐसे समय में मंदिरों पर सेक्स करती हुई मूर्तियों को दर्शाने का उद्देश्य यह था कि लोग यह जान सकें कि संसार की वास्तविकता और अस्तित्व पुरूष और प्रकृति के मेल से है।
नारद पुराण में कथा है कि विवाह से मना करने पर नारद को ब्रह्मा जी से शाप मिला। यानी उन दिनों विवाह और सेक्स को धार्मिक दृष्टि से पुण्य का काम काम माना जाता था। मंदिरों पर सेक्स करती हुई मूर्तियों के दिखाने की वजह पर एक अन्य मत यह भी है कि संसार मैथुनमय है यानी संसार वासना और सेक्स में डूबा हुआ है।
इसलिए इसे अच्छी तरह देख लो और तृप्त हो जाओ। उसी प्रकार जैसे भर पेट मिठाई खाने के बाद कोई मिठाई खाने का आग्रह करे तो आप मना कर दें। जब मन वासना और काम भावना से तृप्त हो जाए तब मंदिर में प्रवेश करो ताकि उस समय भोग और काम की भावना मन को दूषित नहीं करे और ईश्वर के प्रति आप पूर्ण समर्पित हो सकें।
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