Wednesday, 26 June 2013

SADBHAWNA KE SWAR Kavi Sammelan & Mushaira organized by N.F.C.H with ICCR

(5 photos)
The National Foundation for Communal Harmony, an autonomous organization with the Ministry of Home Affairs in collaboration with Indian Council for Cultural Relations organized a Kavi Sammelan and Mushaira ‘’Sadhbhavana Ke Swar’ on the evening of 26th June, 2013,at Azad Bhawan Auditorium I.P. Estate, New Delhi. The programme was graced by Shri K.Skandan, Additional Secretary, Ministry of Home Affairs who appreciated activities being undertaken by the Foundation for promoting communal harmony and strengthening national integration. He advised the Foundation to carry on such activities in different parts of the country so that this message is received and adopted by large segments of population. Shri Ashok Sajjanhar, Secretary of the Foundation briefed the audience about its objectives and the financial assistance being provided to the children affected by communal, caste, terrorist and societal violence for their care, education and rehabilitation. He sought cooperation and partnership of people from all walks of life in further carrying out the vision and mission of the Foundation. The programme was attended by various distinguished and eminent personalities like Ambassadors, Heads of Institute, NGOs, Think Tanks, Civil Society groups and others. 26th June, 2013 at Azad Bhawan Auditorium I.P. Estate, New Delhi. Sadhbhavana Ke Swar is an untiring attempt to disseminate the message of communal harmony and national integration. 10 eminent Hindi and Urdu Poets participated in the programme. They regaled the audience with their creative compositions. The recitation to the packed hall was generously and Continuously applauded. The event was inspiring and motivating. This attempt by the Foundation will go a long way in promoting peace and communal harmony amongst the diverse religious, ethnic and communal segments of our society.
 — at ICCR, Azad Bhawan Auditorium.

Tuesday, 4 June 2013

    ---इजरायली महिला सैनिकों ने अंडरवियर में फेसबुक पर अपलोड की फोटो---


इजरायल की सेना में एक बार फिर सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जरिए अनुशासनहीनता का मामला सामने आया है. इस बार महिला सैनिकों के एक ग्रुप ने सिर्फ अंडरवियर पहने और हाथों में कुछ हथियार लेकर फोटो खिंचावाई और उसे फेसबुक पर अपलोड कर दिया.
घटना के सामने आने के बाद सेना ने आरोपी सैनिकों के खिलाफ अनुशासनात्‍मक कार्रवाई की है. इससे पहले भी इजरायली सेना के कई युवा सैनिकों को फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स में आपत्तिजनक सामग्री अपलोड करने पर सेना से फटकार मिल चुकी है.

ताजा मामला दक्षिण इजरायल के मिलिट्रि बेस का है, जहां आरोपी महिलाओं की कुछ समय पहले ही नियुक्ति हुई थी. फेसबुक पर अपनी आपत्तिजनक तस्‍वीरें अपलोड करने के आरोप में इन महिला सैनिकों के खिलाफ सेना ने कार्रवाई की है. फेसबुक पर अपलोड एक फोटो में महिला सैनिक अपने अंडरवियर दिखाने के लिए वर्दी उतारते हुए दिख रही हैं. वहीं, एक दूसरी तस्‍वीर में 5 महिलाएं बैरक में दिखाई दे रही हैं, जहां उन्‍होंने सिर्फ हेलमेट पहना है और उनके हाथ में कुछ हथियार हैं. फोटो में सैनिकों के चेहरे ब्‍लर यानी कि धुंधले कर दिए गए हैं.

सेना की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, 'अधिकारियों ने आरोपी सैनिकों को अनुशासित कर दिया है.' हालांकि बयान में सैनिकों की पहचान गुप्‍त रखी गई है और उन्‍हें दी गई सजा के बारे में भी नहीं बताया गया है. सेना के अधिकारियों का कहना है कि सैनिक फिर से इस तरह का काम ना करें इसके लिए मिलिट्री बेस में शैक्षणिक व्‍याख्‍यान आयोजित किए गए.

हाल के वर्षों में कई बार इजरायली सेना ने सोशल मीडिया साइट्स में अनुचित सामग्री पोस्‍ट करने पर अपने सैनिकों को दंडित किया है. साल 2010 में यूट्यूब में एक वीडियो पोस्‍ट किया गया था जिसमें एक इजरायली सैनिक फिलिस्‍तीनी महिला के चारों ओर नाच रहा था. उस महिला की आंख में पट्टी बंधी थी. इससे पहले इजरायली महिला सैनिकों ने फिलिस्‍तीनी कैदियों के साथ तस्‍वीर खींचकर उसे सोशल मीडिया साइट्स पर अपलोड कर दिया था.

इन घटनाओं के बाद इजरायली सेना ने सैनिकों के बेस में रहते हुए सोशल मीडिया साइट्स के इस्‍तेमाल पर पाबंदी लगा दी ताकि इस तरह की पोस्‍ट से होने वाली परेशानी से बचा जा सके. हालांकि यह साफ नहीं है कि अभी भी यह प्रतिबंध कायम है या नहीं.

इस साल की शुरुआत में भी एक अन्‍य सैनिक को फिलिस्‍तीन विरोधी ट्वीट्स करने और दूसरी सोशल मीडिया साइट्स में बंदूक के साथ नग्‍न तस्‍वीर अपलोड करने पर सेना से कड़ी फटकार मिली थी.
---आरटीआई का हथियार, नेताजी से पूछें ये 6 सवाल!---



अगर आपको यह पता लगाना है कि राजनीतिक दलों को पैसा कैसे और कहां से मिल रहा है, तो अब यह जानने का रास्ता खुल चुका है।

केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने एलान किया है कि अब से राजनीतिक दल भी सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत प्रशासन और आम जनता के प्रति जवाबदेह होंगे।

इस फैसले के बाद आप कांग्रेस, भाजपा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और बहुजन समाज पार्टी से सवाल कर सकते हैं और उन्हें जवाब देना होगा।

आइए गौर करें कि आप इन राजनीतिक दलों और अपने प्यारे नेताजी से अब क्या-क्या सवाल कर सकते हैं-

1. सालाना चंदा कितना मिला और कहां खर्च हुआ?
सबसे पहला सवाल बनता है कि इन राजनीतिक दलों को हर साल कितना चंदा मिलता है और इस रकम को कहां-कहां खर्च किया जाता है। नेताओं के मालदार होने की खबरें जब-तब आती रहती हैं, लेकिन अब आप यह पूछ सकते हैं कि पार्टी को कितना पैसा मिलता है।

2. रिलायंस, टाटा, एयरटेल से कितना-कितना चंदा मिला?
नेताओं और उद्योगपतियों के बीच गठजोड़ की खबरें आम हैं, लेकिन आरटीआई के हथियार का इस्तेमाल कर यह सवाल किया जा सकता है कि किस उद्योग समूह से इन राजनीतिक दलों को कितनी रकम मिल रही है। जाहिर है, इस रकम की एवज में उद्योगपतियों को कुछ 'फायदे' भी मिलते होंगे।

3. आम चुनाव में कितना खर्च किया और उम्मीदवारों को कितनी रकम दी?
तामझाम को देखकर समझ आ जाता है कि निगम चुनावों से लेकर लोकसभा चुनाव तक, राजनीतिक दल अरबों रुपए बहाते हैं और उम्मीदवार भी कोई कसर नहीं छोड़ता। वक्‍त आ गया है कि यह पूछें कि इन राजनीतिक दलों ने चुनावों में कितना खर्च किया और उम्मीदवारों को कितनी रकम प्रचार के लिए दी गई।

4. स्टार प्रचारक के हवाई खर्च पर कितनी रकम लगी?
आपने भी खूब देखा-सुना होगा कि दिल्ली का कोई बड़ा नेता चुनाव के वक्‍त असम में प्रचार के लिए जा रहा है। इन्‍हें स्टार प्रचारक कहा जाता है, जो अपने भाषण से वोट खींचने की ताकत रखते हैं। लेकिन इनकी आवाजाही में राजनीतिक दल कितना पैसा खर्च किया जा रहा है, यह बात कभी बाहर नहीं आती। क्यों न यह जान लिया जाए।

5. रामलीला मैदान में हुई रैली के खर्च का ब्योरा ‌दीजिए?
राजनीतिक दल ‌उत्तर प्रदेश का हो य फिर बिहार का, शक्ति प्रदर्शन करने के लिए दिल्ली के रामलीला मैदान में रैली करने के लिए जरूर आतुर रहता है। दूर-दूर से ट्रेन और बसों में समर्थक भरकर लाए जाते हैं। आरटीआई के जरिए यह सवाल किया जा सकता है कि ऐसी एक रैली पर कितना पैसा लगाया जाता है।

6. विदेश से किससे और कितना चंदा मिला?
हम सभी जानते हैं कि विदेश में बसे समर्थकों और उद्योगपतियों से भी हमारे राजनीतिक दलों को खूब पैसा आता है। लेकिन इस बात की जानकारी छिपी रहती है कि यह पैसा कहां से आया और किसने दिया। आरटीआई की अर्जी शायद इन दबी-छिपी सूचनाओं को बाहर लाने का काम करेगी।
----मंदिरों की दीवारों पर क्यों बनाई गई सेक्स करती मूर्तियां?---



खजुराहो के मंदिर शिल्प कला और खास तौर पर मंदिर की दीवारों पर बनी मैथुन यानी सेक्स में रत मूर्तियों के कारण विश्व प्रसिद्घ है। खजुराहो के अतिरिक्त कोणार्क मंदिर और पुरी के मंदिरों पर भी इस तरह की मूर्तियों को उकेरा गया है। बिहार के हाजीपुर में स्थित नेपाली छावनी शिव मंदिर ऐसा ही मंदिर है जहां की दीवारों पर मैथुन मूर्तियां बनी हुई हैं

मंदिर अध्यात्म और ईश्वर को प्राप्त करने का स्थान है। जबकि सेक्स को संसारिकता, भोग और अधोगति प्रदान करने वाला माना गया है। ऐसे में मंदिर की दीवारों पर ऐसी मूर्तियों को देखकर हर व्यक्ति के मन में यह सवाल उठाना स्वभाविक है कि मंदिर की दीवारों पर ऐसी मूर्तियां क्यों बनायी गई हैं।

'तापी धर्मराव' ने इस प्रश्न का उत्तर देवालयों पर मिथुन मूर्तियां क्यों? नामक अपनी पुस्तक में दिया है। इनके अनुसार प्राचीन काल में सेक्स पाप कर्म नहीं माना जाता था यह सृष्टि के विकास में योगदान माना जाता था। लोग छुपकर सेक्स करने के बजाय मंदिर में ईश्वर के सामने सेक्स करते थे। माना जाता था कि ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती थी।

प्राचीन समय में देवी-देवताओं की मूर्तियां नहीं होती थी उस समय लिंग और योनी की पूजा होती थी। इसका कारण यह था कि लोग यह मानते थे कि संसार की उत्पत्ति पुरूष और प्रकृति के मिलन से हुआ है।

पुरूष के प्रतीक के रूप में लिंग की और प्रकृति के रूप में योनी की पूजा होती थी।

देवी-देवताओं की मूर्तियों के अस्तित्व में आने पर इस रूप में इनकी पूजा होने लगी। ऐसे समय में मंदिरों पर सेक्स करती हुई मूर्तियों को दर्शाने का उद्देश्य यह था कि लोग यह जान सकें कि संसार की वास्तविकता और अस्तित्व पुरूष और प्रकृति के मेल से है।

नारद पुराण में कथा है कि विवाह से मना करने पर नारद को ब्रह्मा जी से शाप मिला। यानी उन दिनों विवाह और सेक्स को धार्मिक दृष्टि से पुण्य का काम काम माना जाता था। मंदिरों पर सेक्स करती हुई मूर्तियों के दिखाने की वजह पर एक अन्य मत यह भी है कि संसार मैथुनमय है यानी संसार वासना और सेक्स में डूबा हुआ है।

इसलिए इसे अच्छी तरह देख लो और तृप्त हो जाओ। उसी प्रकार जैसे भर पेट मिठाई खाने के बाद कोई मिठाई खाने का आग्रह करे तो आप मना कर दें। जब मन वासना और काम भावना से तृप्त हो जाए तब मंदिर में प्रवेश करो ताकि उस समय भोग और काम की भावना मन को दूषित नहीं करे और ईश्वर के प्रति आप पूर्ण समर्पित हो सकें।
----इन मह‌िलाओं को नहीं होता ब्रेस्ट कैंसर---



मां का दूध न सिर्फ बच्चे की सेहत और विकास के लिए फायदेमंद है बल्कि मां का भी ब्लड प्रेशर ठीक रखता है। वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह दावा किया है कि जो महिलाएं अपने बच्चों को लंबे समय तक अपना दूध पिलाती हैं, वे लंबे समय तक हाई ब्लड प्रेशर की मरीज नहीं होती हैं।

शोध के दौरान उन्होंने पाया कि बच्चे को लंबे समय तक दूध पिलाने वाली महिलाएं अमूमन 64 साल की उम्र तक हाई ब्लड प्रेशर का शिकार नहीं होती हैं। इस दौरान शोधकर्ताओं ने 27,785 आस्ट्रेलियाई महिलाओं, जिनकी उम्र 45 वर्ष से अधिक थी, की मेडिकल हिस्ट्री और ब्रेस्ट फीडिंग की जानकारी इकट्ठा की।

डेली मेल में प्रकाशित इस शोध में शोधकर्ता डॉ. जोएन लिंड ने माना कि यह खोज मां और बच्चे, दोनों की सेहत के लिहाज से एक बड़ी उपलब्धि है। महिलाओं को अपने बच्चों को जितना हो सके उतना अपना दूध पिलाना चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि शोध के दौरान 45 से 64 साल की महिलाओं ने अपने जीवन में औसतन करीब छह माह तक बच्चों को अपना दूध पिलाया और एक बच्चे को करीब तीन माह तक अपना दूध पिलाया।

हालांकि शोधकर्ता अभी तक ब्रेस्टफीडिंग और हाई ब्लड प्रेशर के संबंध की ठोस वजह का पता नहीं लगा सके हैं पर उनका मानना है कि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान निकलने वाले हार्मोन का संबंध ब्लड प्रेशर से हो सकता है।

गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन महिलाओं को छह महीने तक अपने बच्चे को दूध पिलाने की सलाह देता है।
----पत्नी की ‘‘झूठी’’ शिकायतों के शिकार बने व्यक्ति को अदालत से मिली तलाक की मंजूरी----


नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज अपनी पत्नी की ‘‘झूठी’’ शिकायतों के शिकार बने एक व्यक्ति के तलाक को मंजूरी दे दी। व्यक्ति की पत्नी ने उसके और उसके परिवार वालों के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज करायी थीं। अदालत ने कहा कि महिला के कार्रवाईयों से उसका पति मानसिक रूप से प्रताड़ित हुआ।
निचली अदालत द्वारा अपने पति के पक्ष में दिए गए फैसले को चुनौती देते हुए महिला ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी जिसे न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग और वी कामेश्वर राव की खंडपीठ ने खारिज कर दिया। खंडपीठ ने परिवार अदालत के फैसले से सहमति जतायी।
खंडपीठ ने कहा, ‘‘हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि संदीप :बदला हुआ नाम: और उसके परिवार वालों के खिलाफ पुलिस के समक्ष और संदीप के कार्यालय में कई गलत शिकायतें दर्ज कराकर महिला ने अपने पति को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया है।
महिला ने अपने पति और उसके परिवार वालों के खिलाफ दहेज की मांग करने, उनकी मांगों को पूरा ना करने पर उसके साथ कू्ररता से पेश आने और अपने पति पर एक सहकर्मी के साथ अवैध संबंध में लिप्त होने के गलत आरोप लगाए थे जिसकी वजह से हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत व्यक्ति को तलाक पाने का हक है।’’
अदालत ने अपने फैसले में कहा, ‘‘कोई वैवाहिक विवाद केवल एक कानूनी विवाद नहीं है बल्कि इससे अधिक महत्वपूर्ण रूप से यह एक पारिवारिक और एक सामाजिक समस्या है। कानूनी बारीकियों के दृष्टिकोण से वैवाहिक विवादों को नहीं देखा जाना चाहिए। इसे एक पति और पत्नी के बीच मानवीय स्तर पर एक समस्या के तौर पर देखा जाना चाहिए। पारंपरिक ढर्रे पर न चलकर इस तरह के मामलों को संवेदनशीलता से निपटाया चाहिए।’’
पिछले साल 14 दिसंबर को परिवार अदालत ने व्यक्ति की तलाक की मांग संबंधी याचिका स्वीकार कर ली थी और उसकी पत्नी की विरोधी याचिका खारिज कर दी थी।

अदालत ने महिला द्वारा अपने पति के खिलाफ लगाए गए दहेज के लिए प्रताड़ित करने के आरोप को खारिज करते हुए कहा, ‘‘हमारे पास पर्याप्त सबूत है कि यह शादी दहेज रहित थी।’’
व्यक्ति ने अदालत को बताया था कि उन दोनों ने 22 मार्च, 1997 को अपने माता-पिता को बताए बिना गुप्त रूप से शादी की थी। इसके बाद दोनों ने 26 फरवरी, 1999 को आधिकारिक रूप से शादी की जिसमें केवल लड़की के माता-पिता ही मौजूद थे। व्यक्ति की इस दलील को उच्च न्यायालय ने स्वीकार कर लिया।
भाषा